Thursday, March 29, 2012

औरत (29-Mar-2012)

क्या फर्क.....??
तू गीता है, सलमा है, जैनी या फिर गुरिंदर ......
अस्तितत्व तेरा सिर्फ एक "शरीर"है ."..... "औरत "........

कहानी के कथानक बदलते हैं कहानी खुद नहीं....

तेरी आँखों की  मासूमियत कौन देखे......???
"वो" तेरी "छाती" को देखना चाहते हैं....!!
तू बुद्धिजीवी हो अच्छा है ...
तेरे बदन के "उभार" आकर्षक हो ... "निश्चित".....!!

क्या फर्क ....????
तू बारह हो , बाईस हो, बत्तीस हो या फिर बयालीस....
अस्तितत्व तेरा सिर्फ एक "शरीर"है ."..... "औरत "........

कुछ नोचेंगे...
कुछ राह चलते कुल्हे को हाथ लगायेंगे....
कुछ प्रेम का सहारा लेंगे....!!

"मुद्दा" सिर्फ एक...
बिस्तर पर कैसे ले जाएँ तुझे.....??
इन बाधक कपड़ो को कैसे फाड़ फैंके ....??

क्या फर्क....??
तू गोरी है या काली , बीमार है या फिर विधवा...!!
तेरे भाग्य में "छीला"जाना लिखा है ..सिर्फ..!!

जिनको वक्षस्थल से अमृतमय ढूढ़ पिलाया था....
एक दिन वोही पल्लू खींचेंगे तेरा..!!

संभोगमात्र है तू.....
या स्वीकार कर ले , अन्यथा टूट पड़....
बदल दे अस्तित्व चित्र...!!

किन्तु कहानी के कथानक बदलते हैं कहानी खुद नहीं....!!

Regards
Anupam S. Shlok
08447757188
Dated - 29-Mar-2012
DELHI