Saturday, October 1, 2022

जब तक जीवन, तब तक संघर्ष। (1-Oct-2022)


हा जीवन , तुम संघर्ष;
मुझ दीन की व्यथा का व्यंग बनाते तुम ,
मृत्यु शैय्या पर स्वप्न दिखाते तुम ,
नित्य हृदय छेदन , नित्य चरित्र ह्रास,
जब तक जीवन, तब तक संघर्ष।


वेदना रक्त में मिश्रित,
शृंखलाबद्ध निशदिन व्याकुलता अथाह,
जल से रिक्त, शून्यता से छलकता संतोषकूप ;
अनार्य हर भविष्य का कल, कचोटता
जब तक जीवन, तब तक संघर्ष।


छोटे नयन , स्वपन विशाल देखते,
जीवनता का क्या ही अदेंशा तुम्हे,
कुछ प्राप्त होता भी है, कुछ नहीं भी ;
अंत में सबही अंतहीन , अर्थहीन ,
जब तक जीवन, तब तक संघर्ष।