कुछ सतरंगी आसमानो के अतरंगी गळीचों का तुम्हारे बादमी छरहरे पैरों के नीचे आना, कुछ सावले कोलतारों से बनी तुडी - मुडी़ सरकारी सड़को का तुम्हारे माथे से टपके गीले पसीने की दो बूँदो की बारिश में भीग जाना. कुछ कॅंटिले कॅक्टसो से निकले गाड़े लस्लसे दूधों का तुम्हारे दूधिया सफेद रंगो की बनावट को जलन से देखना , मुरझाना . जंगली अमलताशो के पीले सूखे पत्तों का बावरे पतझड़ में डूबना , सावरे सावन् को भूल जाना. भूतिआ घने जंगल की बर्फ़ीली नीली हवाओं का कॅंक्रिटी शहर के मशीनी जुग्नुओ को सौंधे नशे से जगाना और लुपलुपाते अधनंगे सितारों का उन्हीं थकेमान्दे जुग्नुओ को उधार उधारी की बैगनी रोशनी दे जाना.
जब भी सजीले गोटे से सजी लाल झूमती चुनरी ओढ़ के तुम्हारा अपने घर के लिपे आँगन से निकलना. कुछ चुपे से गमगीन ह्फ्तायी बाज़ारों का तपाक पलटना ,पेशेवर बाज़ारी हो जाना. कुछ संतुरी हारमोनियमो में सरगमी सरगम का बजना , हर सप्तक में एक सुरम्यी सुर बढ़ता जाना.अनमने शहर के जंगली गुलाबों का तुम्हारे सुनहरे मायवी बालों को देख उनमे लगने को पुरज़ोर ललचाना. दो घने जंतरों मन्तरो से शहरी इलाक़ो को जोड़ने वालो मुलायम घास के उबड़ खाबड़ मैदानो का तुमको कबड्डी खेलने के लिए बुलाना.
आवारा कत्तथई धुएँ की तरह तुम्हारा अनंत अंतरिक्ष के अनंत ब्लेकहोलों से निकलना. घुमावदार सुराहियों में रखी बरसो पुरानी अंगूरी शराब के चितचोर नशे को भी अपनी उँगलिओ के इशारों पे घुमाना. कई बैचैन समंदरों के बेख़ौफ़ भटकते भूरे नमकीन पानी को भी अपने स्टीली गिलास में समेट देना. तुम्हारा मदमस्त चलना जैसे ज़मीनी तराज़ू के बराबर बटे तोलो का हिलना, संभालना .
Nihilist | Anti Non-vegeterianism | Cinephile | Cricket Lover | Student of Politics , history , religion and civilizations
Friday, July 8, 2011
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जब तक जीवन, तब तक संघर्ष। (1-Oct-2022)
हा जीवन , तुम संघर्ष; मुझ दीन की व्यथा का व्यंग बनाते तुम , मृत्यु शैय्या पर स्वप्न दिखाते तुम , नित्य हृदय छेदन , नित्य चरित्र ह्रास, जब तक...
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तुम्हे देखता हूँ .....!(24-Mar-2008) तुम्हे देखता हूँ, और फिर तुम्हारे आसपास देखता हूँ.... हाँ नफरत करता हूँ..... बहुत नफरत करता ...
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This girl had blocked me a year back when I was at home not working, saying I was a pervert, my social media posts & the way I think ha...
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जीवन भर मेरी स्वयं की मान्यताओं को लेकर मेरा स्वयं से ही संघर्ष चला है। मुझे ये कहने में कोई शर्म नहीं की समय के साथ मेरे आदर्श , मान्यताये...