Saturday, December 22, 2012

मेरी हार, उसकी जीत..

कुछ दिनों पहले एक फेसबुक स्टेटस देखा जो असल मेरी ही कुछ पंक्तियाँ थी जो 4 साल पहले लिखी थी, गूगल में ढूंढा  तो देखा कई जगह वो पंक्तिया थी। किन्तु वो अधूरी थी , ऐसे में मैंने कोशिश की  पूरी कविता को एक नए तरीके से प्रस्तुत करने की , आशा है आपको पसंद आएगी '.....


जब तक जीवन, तब तक संघर्ष। (1-Oct-2022)

हा जीवन , तुम संघर्ष; मुझ दीन की व्यथा का व्यंग बनाते तुम , मृत्यु शैय्या पर स्वप्न दिखाते तुम , नित्य हृदय छेदन , नित्य चरित्र ह्रास, जब तक...