Saturday, December 6, 2008

IN THE SEARCH OF PERFECT WORLD...

कभी कभी लगता है मैं पागल हूँ , क्योंकि ये प्रयास ही व्यर्थ है की मैं कभी भी एक परफेक्ट वर्ल्ड पा सकूँ , एक सामान्य व्यक्ति बनकर मैं रहना नही चाहता हूँ , और महान बनना इतना आसान नहीं । फिर मेरी तलाश का अंत क्या है , शायद कुछ और प्रश्नों का जमावाडा ।

आख़िर ऐसा क्यो हो , की हम अपने संस्कारो को ताक़ पर रख देते है, समाज को ताक़ पर रख देते हैं ।
सिर्फ़ अपनी चंद इच्छाओको पुरा करने के लिए.... और शायद उन इच्छाओ की पूर्ति कुछ और नई इच्छाओ को जनम देती हैं । जो पूर्णतः निषेध होती है ।

मैं मानता हूँ , अपनी इच्छाओ को मारना असंभव है, क्योंकि हम मनुष्य हैं , एक अदद मनुष्य
हम अपनी करना चाहते है , हम ख़ुद को सर्वोपरि समझते हैं । जो शायद हम है भी, मगर फिर भी न जाने क्यो मैं समझता हूँ अपनी कामुक और मादक इच्छाओ को मारा नहीं तो रोका तो अवश्य जा सकता है।

क्यो हम लोग विवाहपूर्व संबंधो और विवाहेतर समंधो में जाने लगें हैं, क्यों हमारे संस्कार हारते जा रहे हैं, क्यों हम अपने जीवन का परमोदेश्य यौन संबंधो को मानने लगे हैं। क्यो हम परमशक्ति के कथन को भुला रहे हैं, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि हमे लगता हैं , हम हमेशा सही है। और हमे अपने दिल की करने का पुरा हक है ।

समाज तो हमें सिर्फ़ एक बंधन सा लगता है , जो हमें हमारी करनी से रोक देना चाहता है....., शायद किसी रुदीवादी व्यक्तिओं का समूह भर मात्र । जो शायद वो है भी ।

ये सारे नियम कानून भी ख़ुद इश्वर द्वारा निर्मित नहीं बल्कि किसी व्यकी विशेष या व्यक्ति समूह ने ही बनाये हैं। फिर हम इनका पालन क्यो करें?

उत्तर सिर्फ़ यही हो सकता है की समाज को सही ढंग से चलने के लिए इनका पालन परमावश्यक है ।

चंद लोगों की मानसिक विकृति पूरे समाज को हताहत कर रही है... जिसके लिए हम तैयार नहीं हैं ।

दिन ब दिन अपराध बाद रहे हैं... हर व्यक्ति तार्किक हो गया है , बुद्धिजीविता का परिचायक हो गया है...


ये सब देख देख के मैं पागलपन के नए सोपानों पर पहुँच रहा हूँ ।

शायद मैं रुदीवादी हूँ , जो बदलावों को नहीं देख पा रहा है, या शायद मैं दूरदर्शी हूँ जो आने वाले भविष्य
से अवगत है

जो दुनिया को आने वाले प्रलय से बचाना चाहता है । आप लोगों का साथ चाहता हूँ । और इस क्रान्ति , जो अपने संस्कारों और संस्कृति को बचाने के लिए है, को नाम देता हूँ अनुपमिस्म (Anupamism)

Regards- Anupam Sharma (9868929470)
(Anupamism Rocks)

1 comment:

mohit said...

Hats off to you....great thoughts....