जब आधी रात को नींद खुली और ये महसूस हुआ कि कुछ तो ग़लत हो रहा है मेरे साथ!!तो ऐसी चुनौती ही निकल पायी बस कागज पे और फिर फोन के कैमरा पे !
अब या तो तेरे इश्क में बरबाद हो सकता हूँ मैं
या फिर मैं तेरे नाम गुनेह्गार हो सकता हूँ मैं !
अब जो भी है जैसा भी है , खूब है या कुफ्र है ,
हर बूँद मेरी आँख कि, तेज़ाब हो सकता हूँ मैं !
जो गम मिलें हैं हर घड़ी, मैंने सहे हैं बा अदब ,
मौका पड़े तो वो घड़ी, यलगार हो सकता हूँ मैं!!