https://en.wikipedia.org/wiki/Genetics_and_archaeogenetics_of_South_Asia
क़ैमब्रिज विश्वविद्यालय कि DNA स्टडी कहती है कि हिन्दू , मुस्लिम , सिख ईसाई , बौद्ध , जैनी, ब्राह्मण, दलित, दक्षिण, भारतीय , उत्तर भारतीय , पाकिस्तानी , बांग्लादेशी अगर साउथ एशिया में किसी का भी DNA चैक करें , तो पता चलता है कि लगभग सभी का DNA एक है इसका मतलब जो गधे कहते हैं आर्यन ने द्रविदो पे हमला किया था, वो ग़लत हैं . जो मुसलमान कहते हैं जी हम तो अरबी है , भाई लोगों आप हमीं में सो हो जिन्होंने एक समय में इस्लाम स्वीकार कर लिया था, इससे पहले आप भी सनातनी ही थे , और तो और पाकिस्तानी, बांग्लादेशी भी इसी मिट्टी के पूत हैं , इक्का दुक्का को छोड़़ कोई अरब हमलावरो कि औलाद नही है . ब्राह्मणों और दलितों का DNA भी लगभग एक जैसा है. आज से क़रीब 1900 साल पहले हिंदू वर्ण व्यवस्था बदल गयी और लोगो आपस में बँटने लगे , आपस में शादियाँ करना बंद कर दिया.जिसका फाय्दा बाकी धर्मों को मिला. हिन्दुओं को आपस में ही लडवा कर धर्म परिवर्तन कि दुकाने चलने लगीं .. केरल के दलित का DNA भी वैसा ही है जैसा कश्मीरी पंडित का . नागालैंड के क्रिश्चियन का DNA भी वैसा ही है जैसे गुजरात के मुसलमन का ... अब तो विज्ञान भी यही कह रहा है .
इससे सीखे कि , भारत और साउथ एशिया का कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को आज मानता हो , पर आपका मूल यही धरती माँ है , एक ही सनातन धर्म है . ब्राह्मणों में ऐसा कुछ अलग नही है जो दलितों से ख़ुद को बेहतर समझने लगे जन्म के आधार पे. दुनिया तो यही चाहती है कि भारत आपस में लड़ता रहे और बाकी देशों के स्वार्थ पुरे होते रहे हमारी अंदरूनी लड़ाइयों से . फैसला हमे करना है कि हम रंग, धर्म और जाती के आधार पे लड़ते रहें या एक होकर सबके मुँह पे तमाचा मरें.
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