Thursday, April 26, 2012

तुम..(24-Apr-2010)


ना जाने कौन सी ताक़त है,जिसने मेरे विचारों को, मेरी भावनाओं को सक्षम बना दिया है. इतना सक्षम की मैं कह सकूँ की  तुम ही हो जो मेरी हर सोच, हर विचार, हर संवेदना में रहती हो.

साँसे मेरी पहले भी चलती थी ,पर अब पता चला की क्यो चलती हैं. सिर्फ़ इसलिए की हर साँस को क़लम बनाकर अपने बदन पर बार - बार तुम्हारा नाम लिख सकूँ, लगातार तब तक जब तक ये साँसे चलती रहें.

मैने ये शर्त नही रखी की तुम भी हर पन्ने पर मेरा नाम लिखो , बस इतना चाहता हूँ की ज़िंदगी की किताब के किसी भी पुराने गले पन्ने पे, जिसे तुम कभी उलटकर देखना भी ना चाहो, कहीं भी कभी भी एक बहुत छोटा सा "अनुपम" लिख देना, चाहे अगले ही पल उसे मिटा देना. हाँ पर ये वादा ज़रूर करता हूँ की मेरी ज़िंदगी की किताब के हर पन्ने पर बार-बार , हर बार सिर्फ़ तुम्हारा ही नाम लिखा होगा .

जिंदगी अभी भी चल रही है , पर अगर तुम साथ होगी  तो ये गर्म हवाएँ भी सर्द हो जाएँगी , ये थॅकी- थॅकी सी बहारें ,थके घुटनों का बहाना नही बनाएँगी.

शायद तुम्हे अच्छा ना लगे पर तुम्हे शीशे के गोल लिफाफे से ढक दूँगा. ताकि कोई भी मौसम , कोई भी हवा , तुम्हारे चेहरे के एक भी भाव को बदल ना पाए. और जब हम दोनो लाठी लेकर , झुकी कमर के साथ जिंदगी के आख़िरी पड़ाव पर पहुँचेंगे , तब भी मैं यही कहूँगा की " You are the Most beautiful Woman in this world".

Regards
Anupam S "Shlok"
8447757188
24-Apr-2010

6 comments:

Anonymous said...
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Anonymous said...

thats really very beautiful... lucky is the one for whom u have written it... :)

Awesome...

Good work Sharma ji... :)

Anupam S Shlok said...
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Anonymous said...
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Anonymous said...

"main","tum" ab "hum" kab???

Anonymous said...

Thanks!....... can U pm me on this