मिल जाएगा बहाना तुम्हे इस रात के बाद ,
नया ठौरे ठिकाना तुम्हे इस रात के बाद।
अटखेलियों कि रिमझिम बौछारें थमेंगी अब तो ,
बंजर रहेगी धड़कन इस रात के बाद।
छायी हुयी ये धुंध ,मुट्ठी में जो थी मेरी;
दम मेरा घोट देगी इस रात के बाद।
जो दोस्त थी हमारी वो बदनसीब गलियां ,
अजनबी सी होंगी इस रात के बाद।
आंसुओं से शायद , समंदर को भर मैं डालूं ,
ये आग कब बुझेगी इस रात के बाद ;
रोओगी तुम भी हरपल ये बद्दुआ है मेरी ,
तड़पोगी , खुश न होगी इस रात के बाद।
सिंदूर ही था बाकी , बीवी तुम्हे था माना ,
बेवा बनी फिरोगी इस रात के बाद।
छोड़ो "श्लोक" हम भी कातिल कम नहीं हैं ,
पछताएँ शायद हम भी इस रात के बाद।
अनुपम S "श्लोक "
anupamism@gmail.com
4th- Jan-2014
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