Wednesday, December 18, 2013

असर ...!!! (30 - July - 2006)

गीत भी लिखा तो ग़ज़ल  बन गयी.… 
ये तेरी "याद" का असर था। 
हंसना चाहा तो आंसू  बरस पड़े.… 
ये तेरी "आह" का असर था। 
छुआ जो किसी और को उँगलियाँ तड़प उठी.…
ये तेरी "चाह" का असर था। 
चले थे इबादत को पहुंचे तेरे मकान को.…
ये तेरी "राह" का असर था। 
"दिल" धड़कना चाहता था , पर "दिल"नहीं .… 
ये तेरे "असर" का "असर" था। 

अनुपम S "श्लोक"
anupamism@gmail.com

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